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नहीं मालूम अब की साल मय-ख़ाने पे क्या गुज़रा
चाँदनी था कि ग़ज़ल था कि सबा था क्या था
लब पे इक नाम जब आता है तो रो लेते हैं
बात चुप रह के भी करती हैं तुम्हारी आँखें
जाने कौन आस पास होता है
तेरे असर मिटाने में बहुत देर लगी
Through The Fire
ताज्जुब ये नहीं है ग़म के मारों को न चैन आया
I Took The Other Road
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