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तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था
सब से बेहतर है कि मुझ पर मेहरबाँ कोई न हो
मुझ को जब ग़ौर से तकते हैं ज़माने वाले
किसी मक़ाम पे हमें भी रोकता कोई
जी भी कुछ ऐसा जलाया है कि जी ही जानता है
आंख मिला जिंदगी
Remember
ग़लतियाँ अपनी न हों फिर भी मनाने का हुनर
आ गया वस्ल में उन को जो पसीना ठंडा
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